Archive for the ‘हिन्दी’ Category

 

ये जख्मे जिगर हम उठाए कैसे

तुम ही कहो अब मुस्कुराए कैसे

 

आते है बार बार मेरी आंख मे आंसू

हम अश्क अपने उनसे छुपाए कैसे

 

तेरी यादो से ही रौशन है मेरी दुनिया

ये दिया अपने हाथो से बुझाए कैसे

 

जुबां खुलती नही मेरी तेरी महफिल मे

इस भरे बज्म हम गीत सुनाए कैसे 

डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा

उनके होठो पे तबसुम कोई प्यारा नही देखा

फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा

बारहा महके है गुज़रे हुए मौसम का खयाल

कफस में फिर कभी गुलज़ार नज़ारा नहीं देखा

शब को रोशन करें ये चाँद सितारे सारे

करे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा

तिश्नगी रूह की मेरी जो बुझाये कोई

अब तलक अब्र कोई ऐसा आवारा नही देखा

यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी

डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा

जाने क्यूँ महका गुजरे हुये मौसम का खयाल

हमने सदियों से गुलज़ार का नज़ारा नही देखा