शामे मेरी भी अब बेसदा हो गई


जिंदगी मेरी अब सजा हो गई
मौत भी मुझसे बेवफा हो गई

मोहब्बत का पैगाम न आया कोई
जाने हमसे क्या खता हो गई

रंजो गम फैला है इन हवाओं में
क्यूँ हमसे खफा ये सबा हो गई

खामोश बैठे है महफ़िल में इस तरह
शामे मेरी भी अब बेसदा हो गई

भटकते कदमों की आरही है सदा
उनकी आवारगी की इन्तिहाँ हो गई

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