तुम ही कहो अब मुस्कुराए कैसे
आते है बार बार मेरी आंख मे आंसू
हम अश्क अपने उनसे छुपाए कैसे
तेरी यादो से ही रौशन है मेरी दुनिया
ये दिया अपने हाथो से बुझाए कैसे
जुबां खुलती नही मेरी तेरी महफिल मे
इस भरे बज्म हम गीत सुनाए कैसे
4 सितम्बर
Posted 04/09/2012 by singhanita in अनीता, अनु, गीत, गज़ल, भारत, हिन्दी. Tagged: anu गज़ल भारत, अनु गज़ल संवेदना. टिप्पणी करे
तुम ही कहो अब मुस्कुराए कैसे
आते है बार बार मेरी आंख मे आंसू
हम अश्क अपने उनसे छुपाए कैसे
तेरी यादो से ही रौशन है मेरी दुनिया
ये दिया अपने हाथो से बुझाए कैसे
जुबां खुलती नही मेरी तेरी महफिल मे
इस भरे बज्म हम गीत सुनाए कैसे
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