गम मेरे करते है सवाल अभी

गम मेरे करते है सवाल अभी
दिल से उतरा नहीं मलाल अभी

तुझको यूँ भूल भी न पाउंगी
मुझपे कुछ नजरे करम डाल अभी

छोड कर तुझको कहा जाउंगी
दूर जाना भी है मुहाल अभी

खुश न हो जमाने की तारीफ पर
खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी

प्यार की राह में रखा है कदम
ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी
(12/2/2010-अनु)

11 responses to this post.

  1. “खुश न हो जमाने की तारीफ पर
    खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी”
    सार्थक सोच लिए बहुत सुंदर रचना – बधाई

    प्रतिक्रिया

  2. lajwaab kaha hai anu ji… thanks for submit the highest thoughts

    प्रतिक्रिया

  3. प्यार की राह में रखा है कदम
    ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी …

    खूबसूरत ग़ज़ल के लाजवाब शेर हैं ….. स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में …

    प्रतिक्रिया

  4. बहुत सुन्दर ग़जल
    ब्लॉग की रचनात्मक दुनिया में आपका स्वागत..
    आपके ब्लॉग का लुक शानदार लगा ….
    बधाई

    प्रतिक्रिया

  5. खुश न हो जमाने की तारीफ पर
    खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी

    प्यार की राह में रखा है कदम
    ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी

    bahut khoob…badhaayi..

    प्रतिक्रिया

  6. गम मेरे करते है सवाल अभी
    दिल से उतरा नहीं मलाल अभी
    Sundar alfaaz!

    प्रतिक्रिया

  7. कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
    धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
    कलम के पुजारी अगर सो गये तो
    ये धन के पुजारी
    वतन बेंच देगें।

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता “जनोक्ति परिवार “आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,

    प्रतिक्रिया

  8. नमस्कार,
    चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है.
    लिखती रहें! शुभकामनाएं.

    [उल्टा तीर]

    प्रतिक्रिया

Leave a reply to shama जवाब रद्द करें