गम मेरे करते है सवाल अभी
दिल से उतरा नहीं मलाल अभी
तुझको यूँ भूल भी न पाउंगी
मुझपे कुछ नजरे करम डाल अभी
छोड कर तुझको कहा जाउंगी
दूर जाना भी है मुहाल अभी
खुश न हो जमाने की तारीफ पर
खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी
प्यार की राह में रखा है कदम
ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी
(12/2/2010-अनु)
Posted by rakesh kaushik on 13/02/2010 at 2:28 अपराह्न
“खुश न हो जमाने की तारीफ पर
खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी”
सार्थक सोच लिए बहुत सुंदर रचना – बधाई
Posted by malkhan on 13/02/2010 at 5:33 अपराह्न
lajwaab kaha hai anu ji… thanks for submit the highest thoughts
Posted by Digamber on 14/02/2010 at 6:00 पूर्वाह्न
प्यार की राह में रखा है कदम
ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी …
खूबसूरत ग़ज़ल के लाजवाब शेर हैं ….. स्वागत है आपका ब्लॉग जगत में …
Posted by Arshad ali on 14/02/2010 at 1:53 अपराह्न
बहुत सुन्दर ग़जल
ब्लॉग की रचनात्मक दुनिया में आपका स्वागत..
आपके ब्लॉग का लुक शानदार लगा ….
बधाई
Posted by ramadwivedi on 14/02/2010 at 2:34 अपराह्न
खुश न हो जमाने की तारीफ पर
खुद को दिलबर जरा सम्हाल अभी
प्यार की राह में रखा है कदम
ऐसे न इम्तहाँ में डाल अभी
bahut khoob…badhaayi..
Posted by kshama on 14/02/2010 at 3:27 अपराह्न
गम मेरे करते है सवाल अभी
दिल से उतरा नहीं मलाल अभी
Sundar alfaaz!
Posted by shama on 14/02/2010 at 3:54 अपराह्न
Anek shubhkamnayen!
Posted by jayram viplav on 18/02/2010 at 12:26 अपराह्न
कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता “जनोक्ति परिवार “आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,
Posted by amit k sagar on 20/02/2010 at 10:32 पूर्वाह्न
नमस्कार,
चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है.
लिखती रहें! शुभकामनाएं.
[उल्टा तीर]
Posted by singhanita on 20/02/2010 at 11:27 पूर्वाह्न
बहुत धन्यवाद आपको अमित जी …..ब्लॉग पर पहली बार आने के लिए आपका स्वागत है
Posted by jayantijain on 22/02/2010 at 4:14 पूर्वाह्न
nice